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🌾 धान की पराली समाधान

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  धान की पराली प्रबंधन: समाधान, सरकारी मदद व किसान गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी धान की पराली समाधान –  सरकारी योजना, किसानों का अनुभव,  सब्सिडी और 2025 की पूरी गाइड |  खेती-बाड़ी जानकारी पराली जलाने की समस्या और चुनौतियां ध्यान दें – सरकारी स्कीम: पराली प्रबंधन के लिए मदद पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें और उनकी सब्सिडी सरकारी योजना में आवेदन कैसे करें? प्राइवेट सर्विसेज और तकनीक का रोल कृषक कहानी: मेरे गांव में पराली समाधान और कमाई कैसे बढ़ी FAQ: किसानों के आम सवाल और जवाब पोस्ट टैग्स – SEO के लिए बेहतर कीवर्ड पराली जलाने की समस्या – किसानों के लिए क्यों बड़ी चुनौती? हर साल धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली (stubble) किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। जलाने पर ना सिर्फ वायु प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि अब सख्त जुर्माना, सब्सिडी कट, और सरकार की कार्रवाही का भी डर है। सरकारी स्रोत (PIB): फसल अवशेष प्रबंधन योजना जानकारी सरकार की पराली समाधान योजनाएं 2025 – किसान कैसे उठाएं अधिक लाभ? भारत सरकार ...

💪🏻 मिट्टी की सेहत और सस्टेनेबल खेती : आधुनिक तरीके

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मिट्टी की सेहत के लिए सस्टेनेबल खेती के आधुनिक तरीके मिट्टी की गुणवत्ता किसान की खुशहाली और फसल उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। भारत में फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी की सेहत को बनाए रखना जरूरी है। खेती-बाड़ी जानकारी पर ऐसे आधुनिक और टिकाऊ तरीके बताए गए हैं, जिनसे किसान अपनी भूमि को उपजाऊ, स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल बनाए रख सकते हैं। जानिए सरकार की योजनाएं, वेबसाइट्स, ट्रेनिंग केंद्र, और वैज्ञानिक सुझाव—सब कुछ एक जगह! स्मार्ट सिंचाई  1. मिट्टी की सेहत क्या है? मिट्टी की सेहत एक ऐसा संकेत है जिसमें उसकी जीवाणु क्रिया, पोषक तत्त्व, जल धारण क्षमता, और संरचना संतुलित होती है। स्वस्थ मिट्टी का मतलब केवल अच्छी पैदावार ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक पर्यावरण लाभ भी है। इसकी जांच के लिए भारत सरकार ने कई केंद्र और योजनाएं शुरू की हैं। 2. सस्टेनेबल खेती के मुख्य उपाय मिट्टी की जांच और रिपोर्ट बनाएं (Soil Testing)। ऑर्गेनिक खाद, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद का प्रयोग करें। फसल चक्र/रोटेशन अपनाएँ (Crop Rotation)। मल्चिंग व ढंककर खेती करें—मिट्टी में नमी बनी रहती है। स्...

📱 स्मार्ट सिंचाई: जल बचत से बढ़े उत्पादन

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स्मार्ट सिंचाई: जल संसाधनों की बचत और  खेती में प्रौद्योगिकी का उपयोग 💧🌾 भारत में कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जल संकट और सिंचाई की प्रभावशीलता। खेती-बाड़ी जानकारी के माध्यम से किसान भाई जानेंगे कि कैसे स्मार्ट सिंचाई तकनीकें आज किसानों को जल की बचत करते हुए बेहतर फसल उत्पादन करने में मदद कर रही हैं। आज हम स्मार्ट सिंचाई के महत्व, इसकी विभिन्न तकनीकों, लाभों और भारत में इसके उपयोग पर विस्तार से चर्चा करेंगे। खेती का भविष्य   1. स्मार्ट सिंचाई क्या है? 🛰️ स्मार्ट सिंचाई का मतलब है आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके सटीक, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से खेतों में पानी देना। इसमें सेंसर, ऑटोमेशन, डेटा एनालिटिक्स और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली शामिल हैं जिनसे पानी की चपत कम होती है और फसल की जरूरतों के अनुसार जल आपूर्ति होती है। 2. स्मार्ट सिंचाई की प्रमुख तकनीकें 🔧 ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation): पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाने की विधि, जिससे जल की बचत होती है और फसल स्वस्थ रहती है। स्प्रिंकलर सिस्टम (Sprinkler System): खे...

✂️ खेती का भविष्य : CRISPR तकनीक से उन्नत फसल किस्में

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CRISPR तकनीक से उन्नत फसल किस्में:  खेती का भविष्य | पूरी गाइड खेती-बाड़ी में जैवप्रौद्योगिकी ने नई क्रांति ला दी है, जिसमें CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) तकनीक प्रमुख भूमिका निभा रही है। खेतीबाड़ी जानकारी पर हम आपको बताते हैं कि कैसे यह तकनीक पारंपरिक खेती और फसल सुधार की तुलना में तेजी, सटीकता और दक्षता प्रदान करती है। आज किसान इससे बेहतर फसल किस्में प्राप्त कर रहे हैं, जो अधिक रोग प्रतिरोधी, जलवायु अनुकूल और पोषण में समृद्ध होती हैं। इस ब्लॉग में CRISPR तकनीक का परिचय, काम करने का तरीका, फायदे, सावधानियां और किसानों के लिए उपयोग के सुझाव विस्तार से समझाए गए हैं। होम गार्डनिंग   1. CRISPR तकनीक क्या है? CRISPR तकनीक एक उन्नत जीन संपादन (Gene Editing) विधि है, जिसमें फसलों के DNA में सटीक बदलाव करके उनकी गुणवत्ताओं में सुधार लाती है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को फसल के जीन में उनके इच्छित हिस्सों को काटने और सुधारने की अनुमति देती है। CRISPR पारंपरिक जीन संशोधन से अधिक सटीक, सुरक्षित, और कम लागत वाली तकनीक के तौर पर उभर कर सामने आई है। ...

🥬 होम गार्डनिंग 2025 : अक्टूबर में कैसे करें।

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☘️ होम गार्डनिंग 2025 : अक्टूबर के हिसाब से खेती-बाड़ी जानकारी उत्तर प्रदेश में धान की खरीद   1. होम गार्डनिंग का परिचय घर पर बागवानी करना आज के समय में तंदुरुस्ती और पर्यावरण सुरक्षा के लिए जरूरी हो गया है। सही जानकारी और देखभाल से घर के छोटे से हिस्से में भी अच्छे फल और सब्जियां उगाई जा सकती हैं। खेती-बाड़ी जानकारी के साथ आप अपने गार्डन को बेहतर बना सकते हैं। 2. मिट्टी की जांच (Soil Test) कैसे करें सतह से 6 इंच गहराई तक 3-4 जगहों से मिट्टी लेकर लगभग 200 ग्राम मिश्रित नमूना लें। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना बेहतर है। सॉइल टेस्टिंग किट या स्ट्रिप से pH, नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटैशियम (K) की मात्रा देख सकते हैं। किट की निर्देश पुस्तिका पढ़कर रंग से तुलना करें। सरकारी योजना के तहत नजदीकी कृषि केंद्र से भी जांच करवा सकते हैं। मिट्टी जांच केंद्र (Soil Health Card Scheme) 3. बेहतर बीज और पौधे कहाँ से खरीदें? अक्टूबर के लिए उपयुक्त बीज: धनिया, पालक, मेथी, टमाटर, मूली, गाजर। Ugaoo Seeds ...

🌾 उत्तर प्रदेश में धान की खरीद

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🌾 उत्तर प्रदेश में धान खरीद 2025-26: किसानों के लिए पूरी जानकारी और महत्वपूर्ण मार्गदर्शन आलू की आधुनिक खेती   1. धान खरीद की तिथियाँ उत्तर प्रदेश में धान खरीद दो चरणों में होगी: 🌱 पश्चिमी उत्तर प्रदेश: 1 अक्टूबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक 🌱 पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड: 1 नवंबर 2025 से 28 फरवरी 2026 तक 2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2025-26 विपणन वर्ष के लिए धान के MSP इस प्रकार हैं: विविधता MSP (₹ प्रति क्विंटल) साधारण धान 2,369 ग्रेड A धान 2,389 3. मंडी रेट्स (21 सितंबर 2025) निम्नलिखित जिलों में ताज़ा धान मंडी रेट्स: जिला मंडी रेट (₹ प्रति क्विंटल) आगरा 3,400 मथुरा 3,320 अलीगढ़ 3,460 हाथरस 3,100 अधिक जा...

🥔 आलू की आधुनिक खेती: उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल

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🥔 आधुनिक आलू खेती: उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के लिए पूरी गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी आलू भारत के किसानों के लिए एक प्रमुख और लाभकारी फसल है। यह न सिर्फ रोज़मर्रा के खाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रोसेसिंग इंडस्ट्री (चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, स्टार्च) में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है। इस ब्लॉग में खेती-बाड़ी जानकारी दी गई है – बीज से लेकर कटाई, सिंचाई, पोषण, रोग-कीट प्रबंधन और मुनाफे तक। 1. मिट्टी और जलवायु: सही खेत का चुनाव उत्तर प्रदेश: दोमट या हल्की गाढ़ी मिट्टी। पानी जल्दी निकलता है, इसलिए सिंचाई का ध्यान रखें। गुजरात: मिश्रित मिट्टी (दोमट + रेतीली)। ड्रिप सिंचाई सबसे उपयुक्त। पश्चिम बंगाल: जल निकासी अच्छी, लेकिन जलभराव से बचाव आवश्यक। टिप्स: आदर्श pH: 5.5–7.5, आदर्श तापमान: 18–24°C भारत में आलू की प्रमुख किस्में और बीज 2. आलू बीज और प्रमुख किस्में उत्तर प्रदेश कुफरी पुष्कर: जल्दी पकने वाली, टेबल उपयोग। कुफरी सूर्या: प्रोसेसिंग के लिए उत्तम। कुफरी नीलकंठ: ठंड और जलभराव सहनशील। गुजरात लेडी रोसेटा: प्रोसेसिंग के लिए। कुफरी चिपसोना: फ्...

🇮🇳 “भारत में आलू की प्रमुख किस्में और बीज – बुवाई, उत्पादन और pH गाइड”

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🇮🇳 भारत में प्रमुख आलू बीज और किस्में (Potato Varieties & Seeds) 1. कुफरी पुखराज (Kufri Pukhraj) मिट्टी: हल्की दोमट, अच्छी जलनिकासी मिट्टी pH: 5.5–7.5 पानी pH: 6.0–7.5 बुवाई का समय: सितम्बर – नवम्बर फसल अवधि: 70–90 दिन बीज की मात्रा: 9–10 क्विंटल/एकड़ उत्पादन: 100–120 क्विंटल/एकड़ उपयोग: टेबल आलू बीज ट्रीटमेंट: थायरम/कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा उपलब्धता/स्रोत: CPRI शिमला, जोशान फार्म्स, जलंधर 2. कुफरी सिंधुरी (Kufri Sindhuri) मिट्टी: मध्यम दोमट, थोड़ी नमी वाली मिट्टी pH: 6.0–7.5 पानी pH: 6.0–7.5 बुवाई का समय: अक्तूबर – नवम्बर फसल अवधि: 110–120 दिन बीज की मात्रा: 9–10 क्विंटल/एकड़ उत्पादन: 120–140 क्विंटल/एकड़ उपयोग: टेबल और चिप्स बीज ट्रीटमेंट: थायरम/कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा उपलब्धता/स्रोत: CPRI शिमला, जोशान फार्म्स, जलंधर 3. कुफरी जोति (Kufri Jyoti) मिट्टी: हल्की से मध्यम दोमट मिट्टी pH: 5.5–7.0 पानी pH: 6.0–7.0 बुवाई का समय: सितम्बर – अक्तूबर फसल अवधि: 100–110 दिन बीज की मात्रा: 8–9 क्विंटल/एकड़ उत्पादन: 80 –100 क्विंटल/एकड़ उपयोग: टेबल, भंडारण बीज...

🚜 सितंबर माह की खेती: मिट्टी, बीज, रोग नियंत्रण और मुनाफे की पूरी जानकारी

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🌾 सितंबर में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें: पूरी जानकारी बीज से बिक्री तक 1. प्रस्तावना सितंबर का महीना खरीफ से रबी की ओर जाने का समय होता है। इस महीने लहसुन, चना, मटर और मसूर जैसी फसलें बोई जाती हैं। सही मिट्टी, बीज, खाद, सिंचाई और रोग प्रबंधन पर ध्यान देने से ये फसलें कम लागत में ज्यादा लाभ देती हैं। --- 2. मिट्टी और उसका पीएच लहसुन मिट्टी: हल्की दोमट, जैविक पदार्थ से भरपूर पीएच: 6.0–7.5 चना मिट्टी: हल्की दोमट, नमी वाली पीएच: 6.5–8.0 मटर मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली दोमट पीएच: 6.0–7.0 मसूर मिट्टी: मध्यम उपजाऊ, गहरी पीएच: 6.0–7.5 --- सरसों की खेती 2025 3. बीज और बीज ट्रीटमेंट बीज चयन लहसुन: एग्रीफाउंड व्हाइट, यमुनासफेद-3, जी-282 चना: जीएनजी-1581, पूसा-362, काबुली (पीकेवी कबुली) मटर: अरक हरित, रचाना, पूसा प्रगति मसूर: के-75, पूसा वैभव बीज ट्रीटमेंट क्यों? अगर बीज बिना ट्रीटमेंट बोया जाए तो उसमें उकठा, झुलसा और अन्य बीजजनित बीमारियाँ लग सकती हैं। ट्रीटमेंट करने से रोग रुकते हैं और अंकुरण बढ़ता है। कैसे करें? रासायनिक ट्रीटमेंट – थायरम 3 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति क...

धान की खेती: कीट, रोग और उनकी घरेलू रोकथाम

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 🌾 धान की खेती: कीट, रोग और उनकी घरेलू रोकथाम धान की खेती में रोगों से बचाव के लिए घरेलू और ऑर्गेनिक उपचार अपनाना सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यहाँ किसान भाइयों के लिए हर रोग के लिए सरल और असरदार उपाय दिए गए हैं। सफेदपन (White Panicle Disease) सफेदपन में बाली सफेद पड़ जाती है और दाने विकसित नहीं होते। पत्तियां पीली और कमजोर दिखाई देती हैं। यह फंगस संक्रमण और अधिक नमी के कारण होता है। घरेलू रोकथाम: बुवाई से पहले बीज को नीम के अर्क में 24 घंटे भिगोएं। खेत में पानी का स्तर नियंत्रित रखें, पानी जमा न होने दें। नीम अर्क का छिड़काव: 1 लीटर नीम अर्क + 15 लीटर पानी, प्रति हेक्टेयर 2–3 बार, 10–15 दिन अंतराल। पत्ती जलन रोग (Leaf Blast) इस रोग में पत्तियों पर छोटे भूरे या सफेद धब्बे पड़ते हैं, जो बढ़कर पत्तियों को जल जैसा बना देते हैं। यह फफूंदी संक्रमण, उच्च आर्द्रता और ठंडी हवाओं से होता है। घरेलू रोकथाम: बीज को बुवाई से पहले हल्दी पाउडर में 10–15 मिनट भिगोएं। खेत में संतुलित पोषण दें, यूरिया कम मात्रा में। दूध का छिड़काव: 1 भाग दूध + 9 भाग पानी, प्रति हेक्टेयर 3–4 बार, 7–10 दिन अं...