अक्टूबर से जनवरी तक ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी की मिश्रित खेती: आधुनिक और वैदिक तरीकों की पूरी जानकारी"
1. परिचय
ब्रोकोली, गोभी, और फूलगोभी की मिश्रित खेती एक अत्यधिक लाभकारी पद्धति है, जो किसानों को अधिक उपज और बेहतर आय प्रदान करती है। यह मिश्रण न केवल भूमि का अधिकतम उपयोग करता है, बल्कि इन तीनों सब्जियों को एक ही क्षेत्र में उगाने से कीट और रोगों से बचाव में भी मदद मिलती है। आधुनिक और वैदिक खेती तकनीकों का सम्मिलन करके इन फसलों की उपज को और बढ़ाया जा सकता है।
2. खेत की तैयारी
खेत की सही तैयारी, फसल की अच्छी उपज का पहला कदम है।
मिट्टी की जांच करें: खेत की मिट्टी को जांचकर यह सुनिश्चित करें कि इसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व और नमी है।
जुताई: गहरी जुताई करने से मिट्टी नरम होती है और जड़ों के लिए अनुकूल स्थिति बनती है।
उर्वरकों का प्रयोग: जैविक खाद, गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं।
मिट्टी का पीएच संतुलन: मिट्टी का पीएच संतुलित करें ताकि फसल की बेहतर वृद्धि हो।
3. बीज चयन और बुवाई की विधि
बीज चयन:
ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी के लिए उन्नत और रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करें।
बुबाई की विधि:
A. मैन्युअल सीड ड्रिल से बुबाई
B. ट्रैक्टर-सीड ड्रिल से लाइन में बुबाई
C. बेड पर बुबाई
4. सिंचाई की आधुनिक तकनीकें
ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी की सिंचाई के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है:
A. स्प्रिंकलर सिंचाई
स्प्रिंकलर सिंचाई से पानी की उचित मात्रा पौधों तक पहुंचाई जाती है और पौधों को बराबर नमी मिलती है। इससे मिट्टी के क्षरण की समस्या भी कम होती है।
B. ड्रिप इरिगेशन
ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पौधों की जड़ों तक सीधी पानी की आपूर्ति होती है। यह नमी को बनाए रखती है और जल की बचत भी करती है। हालांकि फूलगोभी और गोभी के लिए इसका प्रयोग सीमित है।
C. फर्टिगेशन
फर्टिगेशन के माध्यम से उर्वरक और पानी एक साथ पौधों तक पहुंचते हैं, जिससे पोषण और नमी एकसाथ मिलते हैं।
D. रेन गन का उपयोग
बड़े क्षेत्रों के लिए रेन गन का उपयोग फायदेमंद है, इससे सिंचाई का समय कम होता है और पानी का बेहतर प्रबंधन होता है।
E. मल्चिंग (Mulching)
मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है, खरपतवार पर नियंत्रण होता है और मिट्टी का तापमान संतुलित रहता है। जैविक (पुआल) और प्लास्टिक मल्चिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
5. फसल की देखभाल और रोग प्रबंधन
रोग:
1. अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट
लक्षण: पत्तियों पर छोटे भूरे धब्बे बनते हैं।
रासायनिक उपचार: इंडोफिल M-45 (डोउ केमिकल्स) का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
वैदिक उपचार: गोमूत्र और नीम के अर्क का मिश्रण बनाकर छिड़काव करें।
2. ब्लैक रोट
लक्षण: पत्तियों की नसें काली पड़ जाती हैं और पत्तियां सूखने लगती हैं।
रासायनिक उपचार: स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट (10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
वैदिक उपचार: नीम का तेल और अदरक का अर्क मिलाकर छिड़काव करें।
3. डाउनी मिल्ड्यू
लक्षण: पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद दिखाई देती है।
रासायनिक उपचार: रिडोमिल गोल्ड (Syngenta) का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
वैदिक उपचार: त्रिफला और गोमूत्र का घोल छिड़कें।
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6. फसल की कटाई
कटाई का समय:
ब्रोकोली: जब मुख्य सिर अच्छी तरह से परिपक्व हो जाए और इसके फूल कसकर बंधे हों, तब कटाई करें। यह आमतौर पर बुवाई के 85-100 दिन बाद होता है।
गोभी और फूलगोभी: इनकी कटाई तब करें जब फूल सफेद और कॉम्पैक्ट हो जाए। गोभी की कटाई में लगभग 75-90 दिन का समय लगता है।
शीत भंडारण:
कटाई के बाद उत्पाद को जल्दी से शीत भंडारण में रखें ताकि उसकी ताजगी और गुणवत्ता बनी रहे।
7. निवेश और मुनाफा
निवेश का विवरण:
A. बीज की लागत:
ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी के लिए प्रति हेक्टेयर बीज की लागत लगभग ₹10,000-₹15,000 आती है।
B. उर्वरक और कीटनाशक:
जैविक खाद और कीटनाशकों पर प्रति हेक्टेयर खर्च लगभग ₹20,000-₹25,000 तक होता है।
C. सिंचाई:
आधुनिक सिंचाई तकनीकों के उपयोग के लिए शुरुआती निवेश अधिक होता है, लेकिन इससे दीर्घकाल में जल और श्रम की बचत होती है।
D. श्रम और अन्य लागतें:
श्रम, सिंचाई और अन्य लागतें लगभग ₹30,000-₹35,000 तक हो सकती हैं।
कुल निवेश:
एक हेक्टेयर में ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी की मिश्रित खेती पर कुल निवेश लगभग ₹80,000-₹1,00,000 तक हो सकता है।
मुनाफा:
अगर फसल की देखभाल सही तरीके से की जाए तो प्रति हेक्टेयर 20-25 टन तक उत्पादन संभव है, जिसका बाजार मूल्य ₹2,00,000 से ₹3,00,000 तक हो सकता है। इस तरह से कुल मुनाफा ₹1,00,000 से ₹2,00,000 तक हो सकता है।