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नवंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🌾 धान की पराली समाधान

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  धान की पराली प्रबंधन: समाधान, सरकारी मदद व किसान गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी धान की पराली समाधान –  सरकारी योजना, किसानों का अनुभव,  सब्सिडी और 2025 की पूरी गाइड |  खेती-बाड़ी जानकारी पराली जलाने की समस्या और चुनौतियां ध्यान दें – सरकारी स्कीम: पराली प्रबंधन के लिए मदद पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें और उनकी सब्सिडी सरकारी योजना में आवेदन कैसे करें? प्राइवेट सर्विसेज और तकनीक का रोल कृषक कहानी: मेरे गांव में पराली समाधान और कमाई कैसे बढ़ी FAQ: किसानों के आम सवाल और जवाब पोस्ट टैग्स – SEO के लिए बेहतर कीवर्ड पराली जलाने की समस्या – किसानों के लिए क्यों बड़ी चुनौती? हर साल धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली (stubble) किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। जलाने पर ना सिर्फ वायु प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि अब सख्त जुर्माना, सब्सिडी कट, और सरकार की कार्रवाही का भी डर है। सरकारी स्रोत (PIB): फसल अवशेष प्रबंधन योजना जानकारी सरकार की पराली समाधान योजनाएं 2025 – किसान कैसे उठाएं अधिक लाभ? भारत सरकार ...

आलू की खेती: 20 से 25 दिन बाद जैविक देखभाल और पोषण प्रबंधन

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  आलू की खेती: 20 से 25 दिन बाद जैविक देखभाल और पोषण प्रबंधन Khetibadi Jankari यह भी पढ़ें– आलू की किस्में 20 से 25 दिन की अवधि आलू की खेती में बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस समय सही पोषण प्रबंधन पौधों की सेहत और उपज की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है। जैविक खेती के तरीकों का उपयोग करके फसल की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। 1. मिट्टी चढ़ाना (Earthing Up in Potato Farming) समय: 20-25 दिन के बाद महत्व: कंदों को सूर्य की रोशनी से बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है। इससे फसल का आकार और गुणवत्ता में सुधार होता है। विधि: हल्के हाथों से मिट्टी उठाकर पौधों के चारों ओर चढ़ाएं। यह क्रिया जैविक खेती में भी आवश्यक है। 2. सिंचाई (Organic Irrigation for Potato Crop) समय: 20-25 दिन बाद महत्व: इस समय पौधों को नमी की आवश्यकता होती है, लेकिन जल जमाव से बचें। जैविक खेती में पानी का सही प्रबंधन करना आवश्यक है। विधि: ड्रिप सिंचाई या हल्की फ़राओ सिंचाई करें। जैविक तरीकों में नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग (Mulching) का भी उपयोग कर सकते हैं। 3. जैविक कीट और रोग प्रबंधन (Organic Pest and Disea...

किसानों के लिए 50% सब्सिडी: सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीन पर लाभ

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किसानों के लिए 50% सब्सिडी: पराली प्रबंधन के लिए सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीन। Khetibaadi Jankari (50% Subsidy for Farmers: Super Seeder, Baler, and Cutter Machine for Stubble Management) केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीन पर 50% सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य खेती की लागत को कम करना, आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना, और पराली न जलाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है। इस सब्सिडी का लाभ छोटे, बड़े, महिला, और युवा किसान, सभी उठा सकते हैं। सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीन पर सब्सिडी का लाभ (Benefits of Subsidy on Super Seeder, Baler, and Cutter Machine) सुपर सीडर मशीन खेत में बिना पराली जलाए नई फसल की बुबाई की अनुमति देती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। बेलर मशीन फसल अवशेषों को संग्रहित करने में मदद करती है, जिसे बाद में खाद या चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। कटर मशीन कटाई की प्रक्रिया को आसान बनाती है और फसल अवशेषों का प्रबंधन सरल करती है। इन सभी उपकरणों पर 50% सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसान इन्हें कम लागत पर खरीद सकत...

कृषि शिक्षा में छात्राओं के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ

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कृषि शिक्षा में छात्राओं को प्रोत्साहन राशि (Incentives for Female Students in Agricultural Education) Khetibadi Jankari 1. परिचय (Introduction) कृषि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य छात्राओं को कृषि क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना और उनकी आर्थिक सहायता करना है। इसमें कृषि स्नातक, स्नातकोत्तर, और पीएचडी स्तर की छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 2. प्रमुख सरकारी योजनाएँ (Key Government Schemes) 2.1 कृषि स्नातक और स्नातकोत्तर छात्राओं के लिए प्रोत्साहन (Incentives for Undergraduate and Postgraduate Students) कृषि शिक्षा के स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्राओं को प्रति वर्ष ₹25,000 तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इससे अधिक छात्राएँ कृषि विज्ञान में शामिल हो रही हैं, जिससे उनकी शैक्षणिक और पेशेवर संभावनाएं बढ़ रही हैं। 2.2 कृषि पीएचडी छात्राओं के लिए प्रोत्साहन (Incentives for PhD Students in Agriculture) कृषि विषय में पीएचडी कर रह...

भारत में आलू का रकबा बढ़ा: किसानों के लिए फायदे और चुनौतियाँ

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 भारत में आलू का रकबा बढ़ा: किसानों के लिए फायदे और चुनौतियाँ Khetibadi Jankari हाल ही में भारत में आलू की खेती का रकबा बढ़ाने के निर्णय ने कृषि जगत में ध्यान आकर्षित किया है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष आलू का रकबा देश में करीब 16% बढ़ाया गया है। यह निर्णय विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में लिया गया है। इन राज्यों में आलू की खेती का विस्तार करना फूड प्रोसेसिंग और निर्यात के बढ़ते अवसरों को भुनाने के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। किसानों के लिए आलू का रकबा बढ़ाने के फायदे: 1. उत्पादन में वृद्धि: आलू का रकबा बढ़ाने से फसल की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ कमाने का अवसर मिलता है। यदि बाजार में आलू की मांग अधिक रहती है, तो किसानों को उनकी फसल का अच्छा मूल्य मिल सकता है। 2. आर्थिक स्थिरता: बड़े पैमाने पर आलू की खेती करने से किसानों को कृषि उपकरणों और उन्नत तकनीकों का लाभ मिलता है। इससे उत्पादन लागत में कमी आ सकती है, और फसल की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। 3. रोजगार के अवसर: बढ़ते आलू रकबे के ...

चीनी उद्योग में बड़ा बदलाव: स्टॉक प्रकटीकरण आदेश वापस लिया गया

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  चीनी उद्योग में बड़ा बदलाव: स्टॉक प्रकटीकरण आदेश वापस लिया गया Khetibadi Jankari 1. चीनी स्टॉक प्रकटीकरण आदेश क्या है? (What is Sugar Stock Disclosure Order?) सितंबर 2023 में, सरकार ने चीनी व्यापारियों के लिए हर हफ्ते स्टॉक की रिपोर्टिंग करना अनिवार्य किया था ताकि चीनी की कीमतों पर निगरानी रखी जा सके। इसका उद्देश्य कीमतों को नियंत्रित करना और अवैध जमाखोरी को रोकना था। 2. आदेश को वापस लेने का कारण (Reason for Revoking the Order) सरकार का मानना है कि देश में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति होने के कारण यह कदम अब अनावश्यक है। इसके अलावा, इससे व्यापारियों और प्रोसेसर्स के ऊपर रिपोर्टिंग का बोझ कम होगा। 3. चीनी उद्योग पर प्रभाव (Impact on the Sugar Industry) इस निर्णय से चीनी उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी और व्यापारियों के लिए प्रक्रियाएं सरल होंगी। इससे चीनी व्यापारियों को राहत मिलेगी और वे बिना किसी अतिरिक्त कागजी कार्रवाई के अपने व्यवसाय को संचालित कर सकेंगे। 4. भविष्य की संभावनाएं (Future Prospects) हालांकि सरकार ने स्टॉक प्रकटीकरण का आदेश हटा लिया है, लेकिन वह बाजार पर नजर रखना जारी रखेग...

फूलों की खेती: गुलाब, गेंदा, जैस्मिन, लिली, सूरजमुखी, लैवेंडर और ऑर्किड से कमाएं बेहतर मुनाफा

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  फूलों की खेती: गुलाब, गेंदा, जैस्मिन, लिली, सूरजमुखी, लैवेंडर और ऑर्किड से कमाएं बेहतर मुनाफा Khetibadi Jankari फूलों की खेती एक लाभकारी और आकर्षक व्यवसाय बन सकती है, खासकर जब हम गुलाब, गेंदा, जैस्मिन, लिली, सूरजमुखी, लैवेंडर और ऑर्किड जैसे महंगे फूलों की बात करते हैं। इन फूलों की मांग न केवल घरेलू बाजार में होती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी बहुत डिमांड है। सही मौसम, उन्नत खेती की तकनीकों और ऑर्गेनिक तरीकों के साथ, इन फूलों से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस ब्लॉग में हम इन फूलों की खेती, उनके आदर्श मौसम, लाभकारी तकनीकों और मुनाफे के बारे में विस्तार से जानेंगे। 1. गुलाब की खेती (Rose Farming) गुलाब का फूल दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाले फूलों में से एक है। इसका इस्तेमाल शादी, उत्सवों, और अन्य विशेष अवसरों पर किया जाता है। गुलाब की खेती ठंडी जलवायु में सबसे अच्छी होती है। इसके लिए शीतकाल का समय आदर्श रहता है। यदि ड्रिप इरिगेशन और प्रोटेक्टिव शेड जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए तो पैदावार में वृद्धि हो सकती है। 2. गेंदा की खेती (Marigold Farming) गेंदा फूल...

2024 बन सकता है अब तक का सबसे गर्म वर्ष

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  2024 बन सकता है अब तक का सबसे गर्म वर्ष: जलवायु परिवर्तन और खेती पर इसके गंभीर प्रभाव Khetibaadi Jankari विज्ञानियों और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष बनने की कगार पर है। जलवायु परिवर्तन के असर से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जो खेती, पर्यावरण, और मानव जीवन पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गर्मी न केवल फसलों की पैदावार में कमी ला सकती है, बल्कि मौसमीय घटनाओं को भी अधिक अप्रत्याशित बना सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि जलवायु परिवर्तन से कैसे बचा जा सकता है और किसानों को किस प्रकार की तैयारियां करनी चाहिए। जलवायु परिवर्तन के मुख्य प्रभाव: तापमान में वृद्धि: वैज्ञानिकों के अनुसार, 2024 में तापमान में बढ़ोत्तरी अपने उच्चतम स्तर पर हो सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। खेती पर असर: बढ़ते तापमान से फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ सकता है। गर्मी से फसलें समय से पहले पक सकती हैं या खराब हो सकती हैं। कीटों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है, जिससे उत्पादन कम हो स...

इलायची की ऑर्गेनिक खेती से अधिक मुनाफा कैसे कमाएं: पूरी जानकारी, खर्च और मार्केटिंग टिप्स

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इलायची की ऑर्गेनिक खेती से अधिक मुनाफा कैसे कमाएं : पूरी जानकारी, खर्च और मार्केटिंग टिप्स Khetibadi Jankari  1. इलायची की खेती का परिचय (Introduction to Cardamom Farming) इलायची (Cardamom) एक सुगंधित मसाला है, जो भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है। इसे " मसालों की रानी " भी कहा जाता है। इलायची का उपयोग मसाले, औषधि, और सुगंध में किया जाता है। इसकी खेती मुख्यतः दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। 2. इलायची की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु (Soil and Climate for Cardamom Cultivation) उपयुक्त मिट्टी: इलायची की खेती के लिए दोमट (Loamy) और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। मिट्टी में जैविक पदार्थ की उच्च मात्रा होना आवश्यक है। मिट्टी का ph मान: pH मान 4.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। अधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में पौधे अच्छे से विकास नहीं कर पाते। जलवायु: इलायची को नम और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। 10-35 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ 1500-2500 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती बेहतर होती है। 3. बीज का चयन और उपचार (Seed Selection a...

अदरक की मुनाफे वाली जैविक और आधुनिक खेती: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

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Organic and Profitable Ginger Farming: Complete Guide (2025) | Khetibadi Jankari अदरक की मुनाफे वाली जैविक और आधुनिक खेती: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका Khetibadi Jankari के माध्यम से जानिए—2025 में जैविक व प्रॉफिटेबल अदरक उत्पादन के अनुभवी उपाय! मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएं भारत में अदरक की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अप्रैल से जून के बीच होता है, जबकि मानसून की पहली बारिश के तुरंत बाद रोपण करना सबसे फायदेमंद रहता है। अदरक के लिए दोमट या हल्की अम्लीय मिट्टी (pH 5.5-6.5) उत्तम है; जिसमें पानी का जमाव बिल्कुल न हो [स्रोत] । 25-35°C तापमान और 1500–3000 मिमी वर्षा जरूरी है। कहानी: कर्नाटक के किसान मनोज गोंटे ने ड्रिप इरिगेशन व जैविक पोषण से करीब 30 गुंठे में अदरक लगाया; मंदी में स्टोरेज के बाद प्रॉफिट डबल पाया। [पूरी खबर] पानी व सिंचाई संतुलित ड्रिप इरिगेशन से अदरक में एकरूपता व पानी बचत होती है। पानी का pH 6.0-6.5 रखें; गर्मियों में सिंचाई का खास ध्यान रखें [modern technique] । खेत की तैयारी 2-3 बार गहरी जुताई के साथ 5-6 टन/हेक्टेयर गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट व...

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: लाभ, पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और भूमि की सीमा की पूरी जानकारी

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किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) 2025: सच्ची कहानी, लाभ, पात्रता, आवेदन | Khetibadi Jankari किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) 2025: सच्ची घटना, फायदे, पात्रता व आवेदन प्रक्रिया खेतीबाड़ी जानकारी की ओर से – किसानों के लिए आसान भाषा में नई गाइड Source: PM Kisan Portal किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) : क्यों जरूरी? कई दशकों से किसान साहूकारों या मंडी के व्यापारियों से उधार लेकर 18-24% तक ब्याज दर चुकाते थे। यही मजबूरी KCC योजना की नींव बनी — ताकि किसान को आसान, सस्ता और समय पर बैंक लोन मिले। सच्ची घटना: "उन्नाव (UP) के किसान वीरेंद्र सिंह पहले फसल के लिए साहूकार से कर्ज लेते थे। एक बार अचानक ओलावृष्टि से फसल नष्ट हो जाने के बाद साहूकार ने घर तक आकर तगादा किया। इस बार KCC का लाभ उठाया — बैंक ने मात्र 4% ब्याज दर पर समय पर लोन दिया, बीमा भी मिला। परिवार पर तनाव खत्म हुआ, बच्चों को पढ़ाई-लिखाई का मौका भी मिला।" Government Info: KCC क्यों जरूरी है? यह भी पढ़ें – हल्दी की आधुनिक खेती   2025 के प्रमुख बदलाव कर्ज की सीमा अब ₹3 लाख से बढ़कर ₹5 लाख हो गई है।  PIB ₹2 लाख (अब तक सबसे...

"हल्दी की ऑर्गेनिक और आधुनिक खेती: मुनाफे की ओर एक प्रभावी कदम"

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हल्दी की जैविक व आधुनिक खेती – किसान के लिए प्रैक्टिकल गाइड 2025 हल्दी की जैविक और आधुनिक खेती: मुनाफे का असरदार नया तरीका आज खेतीबाड़ी जानकारी पर हल्दी (Turmeric) की खेती के फायदे जानेंगे। हल्दी न केवल देश का प्रमुख मसाला है, बल्कि आयुर्वेद, औषधि और निर्यात के लिए भी अनमोल फसल है। नई जैविक और स्मार्ट तकनीक अपनाकर किसान कम लागत में अच्छी पैदावार, वजनदार गांठ और खेती से बढ़िया मुनाफा ले सकता है। 1. उपयुक्त मिट्टी और जलवायु (Best Soil and Climate) दोमट, रेतीली दोमट या हल्की acid वाली जमीन – pH 5.5 – 7.2 ( Soil Card से जांच करें ) अगली फसल गेहूं/धान हटाते ही खेत साफ, पिछली जड़ें निकालें – 2-3 जुताई करें। गर्म, नमी वाली जलवायु व 20-32°C तापमान सही। समय – मार्च–मई के बीच बुवाई उत्तम, देर-सबेर मौसम देखें। 2. बीज कंद चयन और जैविक उपचार 6–8 क्विंटल प्रति एकड़ बीज कंद; ताजा, स्वस्थ, रोगमुक्त चुनें। अलग–अलग किस्में: लक्ष्मी, सुधाल, कृष्णा, प्रतिमा आदि (local KVK) बुवाई से पहले – 24 घंटा धूप में सुखाएँ, फिर तीन लीटर पानी में 2.5 ग्राम ट्राइकोडर्मा/नीम घोल में 30 मिनिट डुबोकर...

मसाले वाली फसलों की खेती से किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाएं?

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मसाला फसल 2025: हल्दी, धनिया, जीरा, सौंफ की खेती से आमदनी कैसे बढ़ाएं? मसाला फसलों से किसानों की आमदनी बढ़ाएं (2025 न्यू गाइड) मसाला वाली फसलें (हल्दी, धनिया, जीरा, सौंफ आदि) भारतीय किसानों के लिए सबसे बेहतर आमदनी का माध्यम बन रही हैं। आइए जानते हैं नवीनतम जैविक तरीके, जल प्रबंधन, सरकारी सहायता, बाजार की ट्रिक और हर प्रैक्टिकल स्टेप खेतीबाड़ी जानकारी पर विस्तार से! 1. हल्दी की खेती – नयी तकनीक और मुनाफा मिट्टी: दोमट, हल्की अशुद्धि रहित, पीएच 6-7 बीज: सेहतमंद गांठ (राइज़ोम), 30-40 ग्राम/गांठ, रोगमुक्त छंटाई। मल्चिंग, नेमखल्ली व कम्पोस्ट खाद अनिवार्य। पानी: ड्रिप सिंचाई से सिंचन लागत आधी। सरकारी मिनीकिट व "स्पाइसेस बोर्ड" पोर्टल चेक करें। 2. धनिया की खेती – बीज, खाद, सिंचाई और बाजार बीज: प्रमाणित किस्म (सीओ-4, अजमेर ग्रीन, आरसीआर-41)। बीज आधा तोड़कर बोएं, कॉमिक्स एवं नीम खली से उपचार करें। खाद: वर्मी, गोबर, जैविक मिक्स। सिंचाई: बारिश आधारित व आवश्यकतानुसार ड्रिप/फव्वारा। Local मंडी या FPO ग्रुप बिक्री से लाभ। 3. जीरा की खेती – कम पानी की फसल, अधिक दाम...

"राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) से जुड़कर पाएं कृषि में आधुनिकता और उच्चतम लाभ"

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राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) से जुड़कर पाएं कृषि में आधुनिकता और उच्चतम लाभ eNAM (National Agricultural Market) क्या है? eNAM भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल मार्केट पहल है, जो किसान को एकीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सीधे अपने उत्पाद बेचने की सुविधा देती है। ज्यादा जानकारी व रजिस्ट्रेशन के लिए eNAM किसान पोर्टल देखें। eNAM के मुख्य लाभ बेहतर मूल्य: किसान अपनी उपज सीधे व्यापारी या प्रक्रिया केंद्र को बेच सकते हैं, जिससे लाभ बढ़ता है। बिचौलियों से मुक्ति: eNAM व्यापारी पंजीकरण के जरिए किसानों को पारदर्शी दाम मिलते हैं सभी मंडियों तक पहुंच: eNAM मंडी सूची से किसी भी राज्य/मंडी में बिक्री संभव ऑनलाइन नीलामी व ट्रांसपेरेंसी: किसान फसल रेट एक क्लिक में देख सकते हैं। यह भी पढ़ें – केसर की आधुनिक खेती   व्यापार व आपूर्ति में सुधार क्वालिटी बेस्ड मूल्यांकन—फसल की ग्रेडिंग और पारदर्शी दाम मिलना ई-प्रोक्योरमेंट से बड़ी सप्लाई, तेज ट्रेडिंग, और ऑनलाइन भुगतान eNAM से कौन लाभ उठा सकता है? किसान: जो उत्पादन सीधे मार्केट में बेचना चाहता है (ऑनलाइन ...

केसर की ऑर्गेनिक खेती: अधिक मुनाफे वाली खेती का संपूर्ण गाइड

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केसर की ऑर्गेनिक खेती: अधिक मुनाफे वाली खेती का संपूर्ण गाइड (2025) परिचय केसर (Crocus sativus) दुनिया की सबसे महंगी मसाला फसल है, जिसे "लाल सोना" कहते हैं। भारत में अब ऑर्गेनिक केसर उत्पादन नवाचार (greenhouse, hydroponics) और सरकारी मिशन से न सिर्फ जम्मू-कश्मीर, बल्कि महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल व indoor urban farming में भी मुमकिन हो गया है। साल 2025 में टॉप ग्रेड केसर की कीमत ₹4–6 लाख/किलो तक जा रही है। 1. जलवायु और प्रमुख क्षेत्र ठंडी व सूखी जलवायु: 15–20°C और 1000–1700m ऊँचाई best प्रमुख क्षेत्र: कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल, साइंटिफिक फॉर्म में नागपुर–पुणे–नोएडा । अब hydroponic/aeroponic सिस्टम या ग्रीनहाउस में सीमित स्थान या non-Kashmir स्टेट में भी खेती हो रही है । 2. मिट्टी और पोषक प्रबंधन उपजाऊ, हल्की, draining loam चूनायुक्त मिट्टी (pH 6-8), कोई जलभराव नहीं। जैविक खाद: वर्मी-कम्पोस्ट, गोबर की खाद, नीम केक आवश्यक । अगर सोइललेस/hydroponic: पोषक घोल में मैक्रो-माइक्रो nutrients add करें । 3. कंद चयन और बुवाई ...

"ब्राह्मी की खेती से अधिक मुनाफा: प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीके"

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ब्राह्मी की खेती कैसे करें: प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तकनीक से अधिक मुनाफा खेतीबाड़ी जानकारी | Brahmi Farming Guide Hindi परिचय ब्राह्मी (Bacopa monnieri) भारत में आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख औषधीय पौधा है। आयुर्वेदिक, फार्मा, हर्बल उत्पाद कंपनियों—and विदेशों में इसकी लगातार डिमांड बढ़ रही है। 1. जलवायु और मिट्टी मिट्टी: हल्की, जलधारण युक्त, pH 6–7 जलवायु: गर्म/नम क्षेत्र, लगातार नमी किसान के लिए सलाह: जलभराव वाले खेत, तालाब, या प्राकृतिक नहर जैसे खेत चुनें। 2. ब्राह्मी बीज/नर्सरी तैयारी प्रमाणित बीज — राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) बीज बोने के बाद नर्सरी में 25–30°C और अधिक नमी रखें। 4-5 सप्ताह के बाद पौधे मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट करें। 3. खाद, सिंचाई और पोषण प्रबंधन वरमी कम्पोस्ट, गोबर, नीमखली — सभी जैविक खादों का उपयोग करें। स्प्रिंकलर/रेनगन सिंचाई सिस्टम helpful चेक करें – UP AYUSH मिशन , जिला बागवानी अधिकारी से सलाह व मदद। 4. कीट/रोग व दवा सहायता लाल मकड़ी, घुन: नियंत्रण हेतु नीम तेल (प्राकृतिक...

"सर्पगंधा की खेती कैसे करें: जैविक और आधुनिक तकनीक से अधिक मुनाफा कमाने के उपाय"

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सर्पगंधा की खेती: जैविक–आधुनिक तरीके, सरकारी योजनाएँ परिचय सर्पगंधा (Rauvolfia serpentina) बहुउपयोगी औषधीय पौधा है जिसकी खेती उत्तर भारत, एमपी आदि राज्यों में किसानों को सुरक्षित आमदनी दे रही है। इसकी जड़, बीज व पत्तियों का इस्तेमाल हाईडिमांड दवा इंडस्ट्री, आयुर्वेदिक कंपनियों व निर्यात में होता है। खेतीबाड़ी जानकारी पर आप जानेंगे कि कैसे ?, लगातार बढ़ती बाजार मांग, सरकारी subsidies, export और farmer training के चलते अब यह नकदी फसल व smart farming model बन चुका है। सर्पगंधा खेती के जरूरी सरकारी लिंक सब्सिडी व मार्केट अपडेट: UP Horticulture & AYUSH Mission कृषि वैज्ञानिक सलाह: National AYUSH Mission प्रैक्टिकल गाइड: ApniKheti Sarpgandha Guide | Krishak Jagat Success Case 1. जलवायु व मिट्टी गर्म और हल्की नमी (10-35°C), बलुई दोमट pH 6–7, organic matter-rich आधार जरूरी 2. बुवाई, पौधा तैयार करना जून-जुलाई सीधी बुवाई (बीज या root cuttings) स्पेसिंग: 30x30 सेमी | नर्सरी व ट्रांसप्लांट ऑप्शन प्रमाणित किस्म: R.S.-1, स्थानीय varieties, Govt seed bank ...