संदेश

अक्टूबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🌾 धान की पराली समाधान

चित्र
  धान की पराली प्रबंधन: समाधान, सरकारी मदद व किसान गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी धान की पराली समाधान –  सरकारी योजना, किसानों का अनुभव,  सब्सिडी और 2025 की पूरी गाइड |  खेती-बाड़ी जानकारी पराली जलाने की समस्या और चुनौतियां ध्यान दें – सरकारी स्कीम: पराली प्रबंधन के लिए मदद पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें और उनकी सब्सिडी सरकारी योजना में आवेदन कैसे करें? प्राइवेट सर्विसेज और तकनीक का रोल कृषक कहानी: मेरे गांव में पराली समाधान और कमाई कैसे बढ़ी FAQ: किसानों के आम सवाल और जवाब पोस्ट टैग्स – SEO के लिए बेहतर कीवर्ड पराली जलाने की समस्या – किसानों के लिए क्यों बड़ी चुनौती? हर साल धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली (stubble) किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। जलाने पर ना सिर्फ वायु प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि अब सख्त जुर्माना, सब्सिडी कट, और सरकार की कार्रवाही का भी डर है। सरकारी स्रोत (PIB): फसल अवशेष प्रबंधन योजना जानकारी सरकार की पराली समाधान योजनाएं 2025 – किसान कैसे उठाएं अधिक लाभ? भारत सरकार ...

"किसान की खुशहाली: पीएम कृषि सिंचाई योजना से जल की बचत और उत्पादन में वृद्धि"

चित्र
"किसान की खुशहाली: पीएम कृषि सिंचाई योजना से जल की बचत और उत्पादन में वृद्धि" प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य जल संसाधनों का कुशल उपयोग और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है। यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए बनाई गई है, ताकि उन्हें सिंचाई सुविधाएँ प्रदान की जा सकें और उनकी आय में वृद्धि हो सके। योजना के उद्देश्य  (Objectives of the Scheme) जल संरक्षण और प्रबंधन : जल की बर्बादी को रोकने और उसका बेहतर उपयोग करने के लिए उपायों को लागू करना। सिंचाई सुविधाओं का विस्तार : विशेष रूप से सूखे वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं को स्थापित करना। कृषि उत्पादन में वृद्धि : फसल उत्पादन और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई तकनीकों को लागू करना। किसान की आय में वृद्धि : किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बेहतर उत्पादन और फसल विविधता को बढ़ावा देना। लाभार्थी किसान (Beneficiary Farmers) PMKSY का लाभ विभिन्न प्रकार के किसानों को मिलेगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: छोटे और सीमांत किसान : जो कम भूमि के मालिक हैं। अनुसूचि...

"जुकानी (ज़ूकिनी) की खेती: संपूर्ण जानकारी और आधुनिक तकनीक से अधिक मुनाफे वाली खेती"

चित्र
  "जुकानी (ज़ूकिनी) की खेती: संपूर्ण जानकारी और आधुनिक तकनीक से अधिक मुनाफे वाली खेती" परिचय (Introduction) जुकानी, जिसे ज़ूकिनी के नाम से भी जाना जाता है, एक लोकप्रिय सब्जी है जो पोषण में समृद्ध और विभिन्न प्रकार के पकवानों में उपयोगी है। इसकी खेती सही तकनीकों और प्रबंधन से न केवल अच्छी उपज देती है बल्कि इसे लाभदायक फसल के रूप में भी देखा जाता है। इस ब्लॉग में हम जुकानी की खेती के सभी आवश्यक पहलुओं को सरल और स्पष्ट भाषा में समझेंगे। 1. जुकानी के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी | Ideal Climate and Soil for Zucchini जलवायु: जुकानी के लिए मध्यम तापमान सबसे अच्छा माना जाता है, जो 18°C से 25°C के बीच होना चाहिए। अत्यधिक ठंड या गर्मी फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। मिट्टी का प्रकार: दोमट मिट्टी में जुकानी की पैदावार अच्छी होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच रहना चाहिए। मिट्टी की तैयारी: गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाएं और इसमें जैविक खाद जैसे गोबर की खाद मिलाएं ताकि फसल को आवश्यक पोषक तत्व मिलें। सही जलवायु और उपयुक्त मिट्टी से पौधों का विकास अच्छा होता है ...

जैविक और आधुनिक तकनीकों के साथ पीली और लाल शिमला मिर्च की खेती: पूरी जानकारी

चित्र
जैविक एवं आधुनिक शिमला मिर्च खेती: उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र के किसानों की सच्ची कहानियां महत्वपूर्ण सरकारी लिंक: फसल बीमा योजना पोर्टल | Vikaspedia उत्तम गाइड | अपनी खेती गाइड राज्य सरकार सब्सिडी, आवेदन, योजना हेल्पलाइन: UP उद्यान विभाग | महाराष्ट्र कृषि | पंजाब एग्रीकल्चर ऑनलाइन किसान सहायता टोल फ्री: 1800-180-1551 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना   परिचय शिमला मिर्च (bell pepper) – चाहे वह पीली हो या लाल – अब किसानों की सबसे पसंदीदा सब्ज़ियों में शुमार है। उत्तर प्रदेश (मथुरा, आगरा, हाथरस, अलीगढ़) के कई प्रगतिशील किसानों ने पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के किसानों के साथ मिलकर गेहूं/गन्ना-धान जैसी पारंपरिक खेती से आगे नई मिसाल पेश की। जैविक और हाईटेक तरीकों से खेती में न सिर्फ कम लागत पर बंपर उत्पादन, बल्कि सबसे अधिक लाभ भी उत्तरी भारत के किसान ले रहे हैं। 1. उत्तर प्रदेश (मथुरा, आगरा, हाथरस, अलीगढ़): असली खेती की मिसाल मथुरा: ग्राम गोवर्धन के युवा किसान दीपक शर्मा ने पहली बार पॉली-हाउस में जैविक शिमला मिर्च बोई। पहली फसल में ही...

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): किसानों के लिए एक संपूर्ण गाइड

चित्र
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): यूपी (मथुरा/आगरा), पंजाब, महाराष्ट्र के किसानों का असली अनुभव सरकारी लिंक: https://pmfby.gov.in/ | ऑनलाइन शिकायत व सूचना: PMFBY Claim Process & Complaint क्या है पीएम फसल बीमा योजना? यह सरकारी बीमा योजना किसानों को प्राकृतिक आपदा, ओलावृष्टि, कीट, रोग, बारिश से सुरक्षा के लिए बनी है। सभी राज्यों के किसान – यूपी (मथुरा/आगरा), पंजाब, महाराष्ट्र - लाभ पा सकते हैं। टोल फ्री नंबर: 1800-180-1551 (राष्ट्रीय फसल बीमा हेल्पलाइन) किसे मिलेगा लाभ (KCC वाले भी) ऋणी किसान: (केसीसी याने Kisan Credit Card से लोन कराने वालों का बीमा बैंक खुद कराता है – एकड़ के हिसाब से! जैसे: मथुरा में जितने एकड़ KCC, उतने बीमा) गैर ऋणी: बिना लोन वाले किसान खुद प्रीमियम जमा कर के बीमा करा सकते हैं। राज्यवार फसलें व बीमा यूपी (मथुरा/आगरा): गेहूं, धान, आलू, सरसों पंजाब: धान, गेहूं, मक्का महाराष्ट्र: कपास, गन्ना, मूंगफली, बाजरा फसल व जिला अनुसार प्रीमियम यहाँ देखें प्रीमियम और मदद खरीफ: 2% रबी: 1.5% व्यावसायिक/बागवानी: 5...

"जैतून की खेती: ऑर्गेनिक और तकनीकी तरीकों से अधिकतम उत्पादन का संपूर्ण मार्गदर्शन"

चित्र
"जैतून की खेती: ऑर्गेनिक और तकनीकी तरीकों से अधिकतम उत्पादन का संपूर्ण मार्गदर्शन" जैतून (ओलिव) की खेती विश्वभर में लाभकारी फसलों में मानी जाती है, विशेषकर इसके तेल के कारण। भारत में भी जैतून की खेती की संभावनाएं बढ़ रही हैं, खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में। जैतून की खेती से मुनाफा तभी बढ़ सकता है जब किसानों को इसकी खेती के ऑर्गेनिक और तकनीकी पहलुओं की गहन जानकारी हो। इस ब्लॉग में जैतून की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है, जिसमें बीज की गुणवत्ता, मिट्टी का प्रकार, सिंचाई और कटाई तक का संपूर्ण विवरण शामिल है। 1. बीज गुणवत्ता और चयन बीज का चयन : जैतून के पौधों का चयन हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले बीजों से करें ताकि पौधे रोग प्रतिरोधी हों और उनका उत्पादन अच्छा हो। विभिन्न किस्मों जैसे ओलिवा , पिचुलाइन , कोरटिना , और अरबीकिना को भारत के लिए उपयुक्त माना गया है। विश्वसनीय स्रोत : बीज और पौध सामग्री सरकारी कृषि संस्थानों, आईसीएआर (ICAR), कृषि विज्ञान केंद्रों, और मान्यता प्राप्त निजी विक्रेताओं से प्राप्त करें। जैतून के बीजों की पौधशाला मे...

"एक्सोटिक वेजिटेबल्स की खेती: ऑर्गेनिक और तकनीकी तरीकों से अधिक मुनाफा कैसे कमाएं"

चित्र
"एक्सोटिक वेजिटेबल्स की खेती: ऑर्गेनिक और तकनीकी तरीकों से अधिक मुनाफा कैसे कमाएं" भारत में विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ने से किसान इनके उत्पादन में रुचि ले रहे हैं। इस ब्लॉग में हम एक्सोटिक सब्जियों की सफल खेती के लिए आवश्यक सभी बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। 1. मिट्टी की गुणवत्ता और तैयारी मिट्टी का प्रकार : एक्सोटिक सब्जियाँ जैसे ब्रोकोली, जुकिनी और रेड केबेज के लिए हल्की और उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। pH वैल्यू : मिट्टी का pH 6-7.5 के बीच होना चाहिए। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी पौधों के लिए हानिकारक हो सकती है। यदि pH संतुलन नहीं है, तो चूना या जैविक पदार्थ मिलाकर उसे ठीक किया जा सकता है। जरूरी पोषक तत्व : नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे तत्व मिट्टी में होना आवश्यक है। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद और जैविक अपशिष्ट मिलाया जा सकता है। 2. बीज चयन और विश्वसनीय कंपनियाँ बीजों का चयन : उच्च गुणवत्ता वाले और रोग-प्रतिरोधक बीजों का चयन करें। अच्छी पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बीज निम्नलिखित कंपनियों से लें: आईसीएआर (ICAR) द्वारा प्रमाणित कृषि विज...

"गेहूं की जैविक और तकनीकी खेती: बेहतर पैदावार के आसान और असरदार तरीके"

चित्र
"गेहूं की जैविक और तकनीकी खेती: बेहतर पैदावार के आसान और असरदार तरीके" गेहूं की जैविक और तकनीकी खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। जैविक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। वहीं, तकनीकी खेती से पैदावार बढ़ती है और मेहनत कम लगती है। आइए जानते हैं, कैसे आप भी अपनी गेहूं की फसल में जैविक और तकनीकी तरीके अपनाकर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। 1. भूमि की तैयारी और जैविक खाद का उपयोग गेहूं की जैविक खेती के लिए मिट्टी की तैयारी में खास ध्यान दें। अच्छी तरह से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। जैविक खाद का उपयोग करें, जैसे कि गोबर की खाद, कम्पोस्ट, और वर्मी कम्पोस्ट। ये खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व देते हैं। हरी खाद जैसे ढैंचा या सनई की खेती कर उसे मिट्टी में मिला सकते हैं। इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। 2. उत्तम बीज का चयन उच्च गुणवत्ता वाले और स्थानीय जलवायु के अनुकूल जैविक बीज चुनें। बीज शोधन: जैविक बीजों को नीम के पत्तों के रस या गोमूत्र में भिगोक...

"सरसों की आधुनिक जैविक और रासायनिक खेती: उन्नत तकनीक, बीज और दवा के सही प्रयोग से अधिक पैदावार"

चित्र
सरसों की जैविक और रासायनिक खेती: आधुनिक तकनीक, बीज, और दवा के साथ पूरी जानकारी सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो खाद्य तेल उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाती है। इसके पौष्टिक गुण और उच्च बाजार मूल्य इसे किसानों के लिए लाभदायक बनाते हैं। आज हम आपको सरसों की जैविक और रासायनिक खेती के बारे में बताएंगे, जिसमें आधुनिक तकनीक, बीज, दवाइयों, और उन्नत खेती तकनीकों का प्रयोग शामिल है। 1. भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन भूमि का चयन: सरसों की खेती के लिए दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इस मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। जैविक उर्वरक : जैविक खेती के लिए गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और हरी खाद का प्रयोग करें। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। रासायनिक उर्वरक: संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें। प्रति हेक्टेयर 60-70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस, और 20 किलोग्राम पोटाश का उपयोग उचित मात्रा में करें। उपचार का तरीका: जैविक तरीके से की गई खेती में ट्राइकोडर्मा और पीएसबी जैसे जैविक उपचार का प्रयोग करें। रासायनिक खेती में डीए...

अक्टूबर से जनवरी तक ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी की मिश्रित खेती: आधुनिक और वैदिक तरीकों की पूरी जानकारी"

चित्र
अक्टूबर से जनवरी तक ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी की मिश्रित खेती: आधुनिक और वैदिक तरीकों की पूरी जानकारी" 1. परिचय ब्रोकोली, गोभी, और फूलगोभी की मिश्रित खेती एक अत्यधिक लाभकारी पद्धति है, जो किसानों को अधिक उपज और बेहतर आय प्रदान करती है। यह मिश्रण न केवल भूमि का अधिकतम उपयोग करता है, बल्कि इन तीनों सब्जियों को एक ही क्षेत्र में उगाने से कीट और रोगों से बचाव में भी मदद मिलती है। आधुनिक और वैदिक खेती तकनीकों का सम्मिलन करके इन फसलों की उपज को और बढ़ाया जा सकता है। 2. खेत की तैयारी खेत की सही तैयारी, फसल की अच्छी उपज का पहला कदम है। मिट्टी की जांच करें: खेत की मिट्टी को जांचकर यह सुनिश्चित करें कि इसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व और नमी है। जुताई: गहरी जुताई करने से मिट्टी नरम होती है और जड़ों के लिए अनुकूल स्थिति बनती है। उर्वरकों का प्रयोग: जैविक खाद, गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं। मिट्टी का पीएच संतुलन: मिट्टी का पीएच संतुलित करें ताकि फसल की बेहतर वृद्धि हो। 3. बीज चयन और बुवाई की विधि बीज चयन: ब्रोकोली, गोभी और फूलगोभी के लिए उन्नत और रोग प्रतिरो...