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सितंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🌾 धान की पराली समाधान

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  धान की पराली प्रबंधन: समाधान, सरकारी मदद व किसान गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी धान की पराली समाधान –  सरकारी योजना, किसानों का अनुभव,  सब्सिडी और 2025 की पूरी गाइड |  खेती-बाड़ी जानकारी पराली जलाने की समस्या और चुनौतियां ध्यान दें – सरकारी स्कीम: पराली प्रबंधन के लिए मदद पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें और उनकी सब्सिडी सरकारी योजना में आवेदन कैसे करें? प्राइवेट सर्विसेज और तकनीक का रोल कृषक कहानी: मेरे गांव में पराली समाधान और कमाई कैसे बढ़ी FAQ: किसानों के आम सवाल और जवाब पोस्ट टैग्स – SEO के लिए बेहतर कीवर्ड पराली जलाने की समस्या – किसानों के लिए क्यों बड़ी चुनौती? हर साल धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली (stubble) किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। जलाने पर ना सिर्फ वायु प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि अब सख्त जुर्माना, सब्सिडी कट, और सरकार की कार्रवाही का भी डर है। सरकारी स्रोत (PIB): फसल अवशेष प्रबंधन योजना जानकारी सरकार की पराली समाधान योजनाएं 2025 – किसान कैसे उठाएं अधिक लाभ? भारत सरकार ...

🥕 "गाजर, मूली और सलाद पत्ता की मिश्रित खेती: आधुनिक तकनीकों के साथ अधिकतम उत्पादन"

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गाजर, मूली और सलाद पत्ता की  एक साथ आधुनिक खेती गाजर, मूली और सलाद पत्ता तीनों ऐसी सब्जियां हैं, जिनकी एक ही मौसम में एक साथ खेती करना संभव है।  सभी किसान भाई खेती-बाड़ी जानकारी के द्वारा नीचे दिए गए बिंदुओं से इस आधुनिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 1. खेत की तैयारी और गुणवत्ता मिट्टी: गाजर, मूली और सलाद पत्ता के लिए हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इन फसलों के लिए मिट्टी का जल निकासी बेहतर होनी चाहिए ताकि पानी ज्यादा समय तक न ठहरे। मिट्टी की जांच: खेत की मिट्टी की pH जांच करें। pH 6-7 के बीच उपयुक्त होता है। अगर pH कम या ज्यादा हो, तो आवश्यक सुधार करें। जुताई और बेड बनाना: खेत की गहरी जुताई करके बेड तैयार करें। बेड की चौड़ाई 1.2 मीटर रखें और गाजर, मूली, और सलाद पत्ते की बुवाई वैकल्पिक कतारों में करें। 2. बीज का चयन और बुवाई गाजर के बीज : ‘पूसा केसर’ या ‘नांतेज’ जैसी किस्में उपयुक्त हैं। मूली के बीज: ‘पूसा चेतकी’ या ‘जापानी सफेद’ का चयन करें। सलाद पत्ता के बीज: ‘क्रिस्पहेड’ या ‘बटरहेड’ किस्में अच्छी होती हैं। बुवाई का समय: ...

☘️ "धनिया, पालक और मेथी की उन्नत खेती: सितंबर-अक्टूबर में आधुनिक तकनीक, जानकारियाँ और लाभकारी उपाय"

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" धनिया, पालक और मेथी की उन्नत खेती: सितंबर-अक्टूबर में आधुनिक तकनीक, जानकारियाँ और लाभकारी उपाय" 1. खेत की तैयारी (Field Preparation) पारंपरिक तरीका (Traditional Method): मिट्टी का चुनाव: हल्की दोमट और उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत की सफाई: पुराने पौधों के अवशेष और खरपतवार हटाएं ताकि खेत बुबाई के लिए तैयार हो। आधुनिक तरीका (Modern Method): भूमि का समतलीकरण: खेत को मशीनों से समतल करें ताकि सिंचाई और जल निकासी सुगमता से हो सके। मिट्टी परीक्षण: मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच कर pH स्तर को संतुलित करें। 2. सिंचाई के तरीके (irrigation methods) सिंचाई आज के जमाने में कई तरीके से की जा रही है पारंपरिक तरीका: पारंपरिक तरीके में हम बोरिंग का सीधा पानी  खेत में देते हैं और वह पानी बेड के किनारो पर भरा जाता है।  सिंचाई की तैयारी: सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर सेटअप लगाएं ताकि पानी समान रूप से वितरित हो सके। 3. बीज या नर्सरी का चयन (Seed or Nursery Selection) बीज चयन (Seed Selection): बाजार में उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध हैं, जो अधिक ...

"आधुनिक तरीकों से बैंगन की उन्नत खेती: बुवाई से कटाई तक की पूरी जानकारी"

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आधुनिक तरीके से बैंगन की खेती बैंगन की खेती अब आधुनिक तरीकों से की जा रही है, जिससे उत्पादन और लाभ दोनों बढ़े हैं। यहाँ हम बैंगन की खेती के सभी चरणों की सरल जानकारी देंगे, जिसमें जुताई से लेकर कटाई तक सब कुछ शामिल है। 1. जुताई और भूमि की तैयारी बैंगन की खेती के लिए मिट्टी को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी है। बैंगन को हल्की दोमट मिट्टी, जिसकी जल निकासी अच्छी हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत की पहली गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी करें। गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालकर मिट्टी को पोषक बनाएं। 2-3 बार हर्षाई करके मिट्टी को समतल बनाएं। 2. मल्चिंग (Mulching) मल्चिंग पौधों की जड़ों को ठंडक और नमी बनाए रखने में मदद करती है। इससे खरपतवार नियंत्रित होते हैं और मिट्टी की नमी बनी रहती है। प्राकृतिक मल्चिंग: घास, भूसा, या पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। प्लास्टिक मल्चिंग : काले या सफेद प्लास्टिक की चादरों का उपयोग करके खेत की सतह को ढकते हैं। 3. बीज का चुनाव और नर्सरी की तैयारी बैंगन की खेती के लिए हाइब्रिड और ग्राफ्टेड बीज सर्वोत्तम माने जाते हैं।बीज को बोने से पहले 2-3 घंटे के लि...

🍆 "ग्राफ़्टेड बैंगन की आधुनिक खेती: तकनीक, लाभ और नर्सरी स्रोत"

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🌱 ग्राफ़्टेड बैंगन की आधुनिक खेती–2025 📖 परिचय बैंगन भारत की प्रमुख सब्ज़ियों में से एक है। खेतीबाड़ी जानकारी  पर हम किसानों को  बताते हैं कि कैसे पारंपरिक खेती में रोग, कीट और मिट्टी से जुड़ी समस्याओं के कारण उत्पादन प्रभावित होता है और कैसे किसान भाईयों को इससे निजात मिलेगी । ग्राफ़्टेड बैंगन की खेती में उच्च उत्पादक किस्म को रोग-प्रतिरोधी जड़ वाले पौधे पर जोड़ा जाता है। यह तकनीक अधिक उत्पादन, बेहतर गुणवत्ता और रोग सहिष्णुता देती है। 🌿 ग्राफ़्टिंग का महत्व मिट्टी जनित रोग जैसे बैक्टीरियल विल्ट, फ्यूजेरियम विल्ट और नेमाटोड से सुरक्षा। पौधों की जीवन अवधि और सहनशीलता में वृद्धि। अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाले फल। रासायनिक दवाओं पर निर्भरता में कमी। जलवायु परिवर्तन और प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन। 🌿 उपयुक्त रूटस्टॉक जंगली बैंगन (Solanum torvum) टमाटर या अन्य सोलानेसी कुल की रोग-प्रतिरोधी प्रजातियाँ स्थानीय रोग-प्रतिरोधी बैंगन किस्में 🔧 ग्राफ्टिंग की विधि नर्सरी में rootstock और scion को अलग ट्रे में 20–30 दिन के पौधे बनाएं। ...

"धान में रोगों की पहचान और प्रभावी उपचार: बेहतर पैदावार के लिए समाधान"

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  धान में रोगों की पहचान और उपचार  "धान की खेती में रोगों की पहचान और उनका सही समय पर उपचार पैदावार को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग में हमने धान में होने वाले प्रमुख रोगों के लक्षण, कारण और प्रभावी उपचार पर विस्तृत जानकारी दी है, ताकि किसान सही समय पर उचित कदम उठा सकें।" 1. सफेदपन (White Pan Disease) पहचान: लक्षण : पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और विकास रुक जाता है। बालियाँ छोटे और असामान्य हो सकती हैं। उपचार: Carbendazim (फफूंदनाशक) मात्रा : 1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी। उपयोग विधि : प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें। सप्ताह में एक बार छिड़काव करें जब तक रोग नियंत्रित न हो जाए। Mancozeb (फफूंदनाशक) मात्रा : 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी। उपयोग विधि : प्रभावित क्षेत्रों पर छिड़काव करें। सप्ताह में एक बार दोहराएं। 2. पत्तियों का रोलर रोग (Leaf Roller Disease) पहचान: लक्षण : पत्तियाँ मोड़ी हुई और घुमावदार दिखाई देती हैं। पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे या पीले धब्बे हो सकते हैं। उपचार: Chlorantraniliprole (कीटनाशक) मात्रा : ...

🌾 "गेहूं की खेती: एक सफल और लाभकारी फसल के लिए सम्पूर्ण मार्गदर्शिका"

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गेहूं की खेती: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका परिचय : गेहूं, भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, जो न केवल भोजन का मुख्य स्रोत है बल्कि कई खाद्य उत्पादों में भी उपयोग होती है। खेती-बाड़ी जानकारी पर सभी किसान भाइयों को गेहूं उत्पादन और गेहूं बुवाई की बेहतर से बेहतर जानकारी मिलेगी। जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएँ : जलवायु : गेहूं को ठंडी से लेकर मध्यम तापमान (10-20°C) वाले मौसम में उगाना सबसे अच्छा होता है।मिट्टी: बलुई-चमचमाती या बलुई-लौहयुक्त मिट्टी आदर्श होती है। मिट्टी का ड्रेनेज अच्छा होना चाहिए और pH 6-7 के बीच होना चाहिए। बीज चयन और तैयारी : उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब उत्तर प्रदेश : K 9107, PBW 343, HD 2733। हरियाणा : HD 2967, WH 711, HS 240। पंजाब : PBW 550, PBW 343, HD 2967। बीज उपचार: बीजों को Carbendazim (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) या Thiram (3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से उपचारित करें ताकि बीमारियों से बचाव हो सके। खेत की तैयारी :जुताई: खेत को अच्छे से जुताई करें और मिट्टी को ढीला करें। निवारण : खेत को समतल करें और आवश्यकतानुसार ढालें। बुबाई की विधियाँ : पंक्ति विधि : बीजों ...

40-45 दिन बाद धान की खेती: घास, रोग, कीट और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

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40-45 दिन बाद धान की खेती में ध्यान देने वाली बातें पोषक तत्वों का उपयोग :  सल्फर : 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर। नाइट्रोजन : 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर। पोटाश : 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर। सिंचाई का प्रबंधन: पानी की गहराई 2-4 इंच तक रखें। सिंचाई को नियमित रूप से और समय पर करें। घास (वीड्स) का नियंत्रण: हाथ से निराई: छोटे खेतों में हाथ से घास हटाएं। हर्बीसाइड्स : MCPA: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर।Pretilachlor: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर, बुबाई के 7-10 दिन बाद। रोगों का उपचार : पत्ता रोग :Copper Oxychloride: 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।Blitox: 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर। झंडा रोग :Propiconazole: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर। कीटों का नियंत्रण : लीफ फोल्डर :Chlorpyrifos: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर।Quinalphos: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर। स्टेम बोरर :Cartap Hydrochloride: 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।Endosulfan: 1 लीटर प्रति हेक्टेयर। खेत की निगरानी : पौधों की नियमित जांच: पौधों की वृद्धि, रंग और स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करें। रोग और कीट की निगरा...