🌾 धान की पराली समाधान

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20 दिन बाद की देखभाल,बम्पर पैदावार



धान की फसल के 20 दिन बाद की देखभाल (Care for Rice Crop 20 Days After Planting)

सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation and Water Management)


  • सिंचाई: धान की फसल को नियमित रूप से पानी दें। खेत में हमेशा पानी की सही मात्रा बनाए रखें ताकि पौधों की जड़ों को नमी मिलती रहे।
  • जल प्रबंधन: ज्यादा पानी से बचें, इससे पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।

खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)


  • खरपतवार हटाना: खरपतवार को समय-समय पर निकालें, क्योंकि ये पौधों से पोषक तत्व और पानी चुरा सकते हैं।
  • खरपतवार नाशक: खरपतवार को कम करने के लिए '2,4-D' जैसे नाशकों का उपयोग करें।

कीट और रोग प्रबंधन (Pest and Disease Management)


  • कीट निरीक्षण: कीटों की उपस्थिति पर ध्यान दें। अगर कीटों की संख्या बढ़ती है, तो कीटनाशक जैसे 'सेविन' या 'लैम्डा सायहलोथ्रिन' का उपयोग करें।
  • रोग नियंत्रण: अगर बीमारियों के लक्षण जैसे 'ब्लास्ट' या 'ब्राउन स्पॉट' दिखाई दें, तो फफूंदनाशक जैसे 'बोर्डो मिक्स्चर' या 'मैनकोज़ेब' का प्रयोग करें।

खाद और यूरिया का उपयोग (Fertilizer and Urea Application)

  • फास्फोरस और पोटाश: 'डीएपी' (डाइ-अमोनियम फास्फेट) और 'एमओपी' (म्यूरेट ऑफ पोटाश) जैसे खादों का उपयोग करें।
  • सूक्ष्म पोषक तत्व: पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दिखे, जैसे जिंक या बोरान, तो उनका उपयोग करें।
  • यूरिया (Urea): धान की फसल में यूरिया का उपयोग नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए करें। प्रति हेक्टेयर 100-150 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करें। इसे बुबाई के समय और पौधों के बढ़ते चरण में उचित समय पर डालें। यूरिया को खेत में बिखेरने से पहले पानी से धुलना या मिट्टी में मिलाना बेहतर होता है।

फसल की वृद्धि और स्वास्थ्य (Crop Growth and Health) 


  • पौधों की जांच: पौधों की नियमित निगरानी करें और कमजोर या प्रभावित पौधों पर विशेष ध्यान दें।
  • समर्थन: अगर पौधे झुक रहे हैं या गिर रहे हैं, तो उन्हें सीधा करने के लिए उचित समर्थन प्रदान करें।

जैविक खाद का उपयोग (Organic Fertilizer Use)

  • जैविक खाद: वर्मी कंपोस्ट या अन्य जैविक खाद का उपयोग करें, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे और पौधों को अतिरिक्त पोषक तत्व मिलें।

अन्य सावधानियाँ (Other Precautions)

  • मिट्टी की जांच: खेत की मिट्टी की नमी की नियमित जांच करें। अधिक या कम नमी से फसल की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।



  • समान पानी वितरण: पानी का समान वितरण सुनिश्चित करें ताकि सभी पौधों को एक जैसा लाभ मिले।

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