🌾 धान की पराली समाधान
यूपी में खाद की कोई कमी नहीं | उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को दिलाई राहत
किसानों के लिए खाद (Fertilizer) हमेशा सबसे अहम जरूरतों में से एक रही है। चाहे धान की खेती हो, गेहूँ की बुबाई हो या फिर सब्ज़ियों की फसल, समय पर सही मात्रा में खाद मिलने से ही पैदावार (Crop Yield) अच्छी होती है। अक्सर किसानों को खाद की किल्लत, यूरिया की कमी और DAP महंगे दामों पर मिलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने साफ कर दिया है कि राज्य में खाद का कोई संकट (Fertilizer Shortage) नहीं है।
यूपी में कितना खाद उपलब्ध है?
राज्य सरकार के मुताबिक—
5.95 लाख मीट्रिक टन यूरिया (Urea Fertilizer)
3.91 लाख मीट्रिक टन DAP (Di-Ammonium Phosphate)
3.01 लाख मीट्रिक टन NPK (Nitrogen Phosphorus Potassium)
फिलहाल गोदामों में स्टॉक के रूप में मौजूद है। इसका मतलब है कि किसानों को बुबाई और फसल प्रबंधन (Crop Management) के समय किसी भी प्रकार की खाद की कमी नहीं होगी।
खाद की कमी क्यों होती है?
अक्सर बुवाई के मौसम में खाद की मांग अचानक बढ़ जाती है।
कई बार डीलर कालाबाज़ारी करके खाद को ऊँचे दाम पर बेचते हैं।
वितरण प्रणाली में गड़बड़ी और परिवहन में देरी से छोटे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
समय पर खाद न मिलने से खेती की लागत (Farming Cost) बढ़ जाती है और उत्पादन कम हो जाता है।
सरकार की रणनीति और कदम
इस बार सरकार ने पहले से बेहतर तैयारी की है ताकि किसानों को खाद की कोई परेशानी न हो।
ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से हर जिले में खाद का रिकॉर्ड चेक किया जा रहा है।
कालाबाज़ारी पर रोक लगाने के लिए डीलरों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
सहकारी समितियों और PACS केंद्रों के माध्यम से किसानों तक खाद सीधे पहुँचाई जा रही है।
किसानों को सही मात्रा और उचित दाम पर खाद उपलब्ध कराने के लिए विशेष निगरानी दल बनाए गए हैं।
किसानों को इससे क्या फायदा होगा?
समय पर खाद मिलने से फसल की बढ़वार अच्छी होगी।
खेती की लागत कम होगी क्योंकि किसान ऊँचे दाम चुकाने से बचेंगे।
छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी।
बेहतर पैदावार से किसानों की आय (Farmer Income) में बढ़ोतरी होगी।
भविष्य के लिए जरूरी कदम
खाद का पर्याप्त स्टॉक होना राहत की बात है, लेकिन इसके साथ ही कुछ और कदम भी ज़रूरी हैं—
जैविक खाद (Organic Fertilizer) और तरल खाद (Liquid Fertilizer) को बढ़ावा देकर मिट्टी की सेहत बनाए रखना।
किसानों को संतुलित खाद उपयोग (Balanced Fertilizer Use) की जानकारी देना।
स्थानीय स्तर पर खाद का उत्पादन बढ़ाना ताकि राज्य को बाहर से सप्लाई पर निर्भर न रहना पड़े।
निष्कर्ष
यूपी में खाद की कोई कमी न होना किसानों के लिए बड़ी राहत है। सरकार की पहल और खाद का पर्याप्त स्टॉक किसानों को समय पर बुबाई करने और बेहतर पैदावार हासिल करने में मदद करेगा। यह खबर न सिर्फ किसानों के लिए सुकून भरी है बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था (Agriculture Economy) को भी मजबूती देगी।