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अगस्त, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🌾 धान की पराली समाधान

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  धान की पराली प्रबंधन: समाधान, सरकारी मदद व किसान गाइड | खेती-बाड़ी जानकारी धान की पराली समाधान –  सरकारी योजना, किसानों का अनुभव,  सब्सिडी और 2025 की पूरी गाइड |  खेती-बाड़ी जानकारी पराली जलाने की समस्या और चुनौतियां ध्यान दें – सरकारी स्कीम: पराली प्रबंधन के लिए मदद पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें और उनकी सब्सिडी सरकारी योजना में आवेदन कैसे करें? प्राइवेट सर्विसेज और तकनीक का रोल कृषक कहानी: मेरे गांव में पराली समाधान और कमाई कैसे बढ़ी FAQ: किसानों के आम सवाल और जवाब पोस्ट टैग्स – SEO के लिए बेहतर कीवर्ड पराली जलाने की समस्या – किसानों के लिए क्यों बड़ी चुनौती? हर साल धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली (stubble) किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। जलाने पर ना सिर्फ वायु प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि अब सख्त जुर्माना, सब्सिडी कट, और सरकार की कार्रवाही का भी डर है। सरकारी स्रोत (PIB): फसल अवशेष प्रबंधन योजना जानकारी सरकार की पराली समाधान योजनाएं 2025 – किसान कैसे उठाएं अधिक लाभ? भारत सरकार ...

🌾 यूरिया संकट: क्यों है कमी और किसानों के पास क्या हैं विकल्प

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 🌾 यूरिया की कमी: किसानों की बढ़ती समस्याएँ और समाधान 1. प्रस्तावना यूरिया भारतीय कृषि में सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक है। धान, गेहूँ, गन्ना और सब्जियों जैसी फसलों की हरी वृद्धि और उपज बढ़ाने के लिए किसान सबसे ज़्यादा यूरिया पर निर्भर रहते हैं। लेकिन हर साल यूरिया की कमी की खबरें आती रहती हैं, जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। --- 2. वर्तमान स्थिति: कहाँ क्या स्थिति है? तेलंगाना - राज्य को 8.30 लाख टन यूरिया आवंटित किया गया था, लेकिन अब तक केवल 5.62 लाख टन ही प्राप्त हुआ है। यानी लगभग 2.88 लाख टन की कमी है। इसके कारण किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है। ओडिशा (गंजम) - यहाँ यूरिया ब्लैक में बेचा जा रहा है। 45 किलो के बैग का अधिकतम खुदरा मूल्य ₹266.50 है, जबकि किसान इसे ₹600-₹700 में खरीदने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश - कृषि विभाग का दावा है कि यहाँ 5.95 लाख टन यूरिया और 3.91 लाख टन डीएपी उपलब्ध है। सरकार ने कहा है कि किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। राजस्थान - यहाँ विपक्ष ने कमी का आरोप लगाया, लेकिन सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य ...

उत्तर प्रदेश सरकार का ऐलान, खाद भरपूर किसान बलवान।

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यूपी में खाद की कोई कमी नहीं | उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को दिलाई राहत यूरिया संकट किसानों के लिए खाद (Fertilizer) हमेशा सबसे अहम जरूरतों में से एक रही है। चाहे धान की खेती हो, गेहूँ की बुबाई हो या फिर सब्ज़ियों की फसल, समय पर सही मात्रा में खाद मिलने से ही पैदावार (Crop Yield) अच्छी होती है। अक्सर किसानों को खाद की किल्लत, यूरिया की कमी और DAP महंगे दामों पर मिलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने साफ कर दिया है कि राज्य में खाद का कोई संकट (Fertilizer Shortage) नहीं है। यूपी में कितना खाद उपलब्ध है? राज्य सरकार के मुताबिक— 5.95 लाख मीट्रिक टन यूरिया (Urea Fertilizer) 3.91 लाख मीट्रिक टन DAP (Di-Ammonium Phosphate) 3.01 लाख मीट्रिक टन NPK (Nitrogen Phosphorus Potassium) फिलहाल गोदामों में स्टॉक के रूप में मौजूद है। इसका मतलब है कि किसानों को बुबाई और फसल प्रबंधन (Crop Management) के समय किसी भी प्रकार की खाद की कमी नहीं होगी। खाद की कमी क्यों होती है? अक्सर बुवाई के मौसम में खाद की मांग अचानक बढ़ जाती है। कई बार डीलर कालाबाज़...